11 April 2016

क' क' बुकनी हमर हियाकेँ चलि देलौं अहाँ मुस्कैत यै

विरह अगिनमाँ लागल हमरा, हम त' रहलौं सुनगैत यै
क' क' बुकनी हमर हियाकेँ चलि देलौं अहाँ मुस्कैत यै

1
कोना बाजल गेल अहाँकेँ बोली एहन कठोरगर यै
दिलसँ निकलय खून, द' देलौं घाव एहन त' भरिगर यै
हम मौलाएल फूल भ' गेलौं, अहाँ रहलौं खिलैत यै
क' क' बुकनी हमर हिया..............

2
कतेक जतन सँ अहाँ केँ रखलौं मन मंदिरमे बैसा कए
प्रेम हमर नै देखल अहाँ, देखलौं केवल पैसा कए
अहाँ मातल मधुर हँसीमे, हम त' रहलौं सुनगैत यै
क' क' बुकनी हमर हिया.........

3
आब करब विश्वास ने कहियो, द' गेलौं यै सीख एहन
जकरा भीतर स्वर्थ भरल हो, ओकरा लेल फेर शोक केहल
हम त' रहलौं याचक बनि क',अहाँ रहलौं मोलबैत यै
क' क' बुकनी.........

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