06 June 2016

वियाह-मुण्डन

सिसकि सिसकि कानय सकल समाज, बेटी के होइ छै विदाइ हे
भरल नैन बहै छै गंगाक धार, कोना धरी धीर आइ हे

जनमेसँ पोसलहुँ संगे संगे खेललहुँ, सदिखन लागल रहल ध्यान हे
संगे संगे रहलहुँ संगे संगे हँसलहुँ, सैह धीया बनि गेलै आन हे
सिसकि सिसकि कानय सखिया सहेली, कोना रहत आइ माइ हे

कल्हिसँ के माइ कहत, बाबू लेल भोजन परसत, भैया संग करत के मिलान हे
कल्हिसँ के आँगन नीपत,  दौड़ दौड़ काज करत, पूरा करत के अरमान हे
सिसकि सिसकि कानय बाबा आ बाबी, पोती के होइ छै विदाइ हे

घरक दुलारी धीया, संगे लेने जाइ पिया, घर आइ भेलै विरान हे
जाहि ठाम खेलली, गोटी गोटी डोलपाती, सैह नैहर बनि गेलै आन हे
जानि ने बनेलकै के, रीत विदाई, कानय अमित अशोक भाइ हे

2

शुभ दिन एलै आइ बाजय बधैया
मामा मामी खूबे उड़बय रूपैया

हजमा माँगैये देखू ललकी धोती
सिल्कके कुरता आ गंजी गमछी
हरियर पियर, साड़ी, माँगय हजमिनिया
मामा मामी..............

पंडिजी के देखू आइ भरि गेलै मोटरी
दही चूरा बुनिया रसगुल्ला के पोटरी
दक्षिणा मे, देलकै, बाछी आ गैया
मामा मामी.........

दादी लेलकै लापटि तऽ नाचै छै मौसी
मौसो के लागि गेलै मौसीके देखौंसी
मौसा मौसी, डिजे पर, करय ता ता थैया
मामा मामी .............

Sakti leli ye awtar durga maiya

3
सब दिन खेलौं माँर अहाँ आइ पूरी खा लिअ
यौ समधी आइ पतिया छोड़ा लिअ

सब दिन समधिन देलनि नोन आ रोटी
मटर पनीर नहियें चिखलौं माउसक बोटी
तरूआ पापर दही रसगुल्ला खा लिअ
यौ समधी,,,,,,,,,,,

सब दिन समधिन मारलनि अहाँ के लथारि
तेँ त नचै बालीके देखै छी निहारि
मोछमुण्डा लवण्डा बनि जुल्फी घुमा लिअ
यौ समधी,,,,,,,,,,,,,

बेच क बेटा अहाँ उड़बै छी मलफाई
पेट करैये गुड़गुड़ पोखरि दिस पड़ाई
दहेजक लोभी लिस्टमे आइ नामो लिखा लिअ
यौ समधी,,,,,,,

4.
सिसकि सिसकि कानय सकल समाज, बेटी के होइ छै विदाइ हे
भरल नैन बहै छै गंगाक धार, कोना धरी धीर आइ हे

रखलहुँ हियासँ जकरा सटा क,सैहे धीया बनि गेलै आन हे
कोढ़ फटैये नयना बहैये, अंगना भ गेलै विरान हे
सिसकि सिसकि कानय सखिया सहेली, कोना रहत आइ माइ हे

सुगिया सासुरमे जा ,रहतै कोना क, सोचि सोचि निकलैये प्रान हे
गौंआ समाजकेँ, दरकैये छाती, फाटैये जेना आसमान हे
सिसकि सिसकि कानय बाबा आ बाबी, पोती के होइ छै विदाइ हे

घरक दुलारी धीया, संगे लेने जाइ पिया, घर आइ भेलै विरान हे
जाहि ठाम खेलली, गोटी गोटी डोलपाती, सैह नैहर बनि गेलै आन हे
जानि ने बनेलकै के, रीत विदाई, कानय अमित अशोक भाइ हे

5
हाथ ने बारू अहाँ एना नै लजाउ यौ
खा लिअ खीर अहाँ खा खा मोटाउ यौ

माए ने खुएलक बाप ने खुएलक
केहन कंजूस छलय दूधो ने पिएलक
पूरी पकवान खा क सासुरमे अघाउ यौ
खा लिअ....

नाना नानी सेहो अहाँके दलिदर
बहिन के नाम बाजल, भाइयो छुछुन्नर
लोहिया के दूध जकाँ मौसी जी उधियाइ यौ
खा लिअ......

सबसँ नीक पाहुन, अमित दुलरूआ
बौंसै ये साढू सुनू, अशोक मुँहलगुआ
अन्नू कहैये साइर संगे हर्षाउ यौ
खा लिअ.......

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